Friday 30 August 2013

साज कोई छेड़ो

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

साज कोई छेड़ो
गीत नया गाने दो
बहुत तनहा है ये दिल
आज उसे बह जाने दो

 

  प्यार की ये नजर
  अब इधर मोड़ दो

  किस तरह प्रीत का
  वो डोर न तोड़ दो

 

इक नशा था
वो वक़्त भी था
मेरे घर का
तुम पर तारी था

  

  जा रहे हो
  ये भी वक्त है
  मेरी गली से
  नजरें चुरा के

 

ये अहसास न होता
गर तेरी जुदाई का
तुमसे प्यार न होता
इस कदर बेइंतिहा

Wednesday 28 August 2013

कितना अच्छा लगता है


कितना अच्छा लगता है
यूँ अनायास मिलना
दुनियाँ के गलियारों में
साथ-साथ फिरना

अभी छू गई है
पुरवाई गालों को
दे गया चुनौती कौन
दर्द के उबालों को

 दहलीज को चूम रहे
  आँगन अमलतास के
  उधेड़ दो न अब घूंघट
  क्षणजीवी प्यास के

कितनी भारी है
आँखों का सूनापन
सोया सा लगता है
सांसों का सूनापन

 मन से टकराता है
  ऐसे सन्नाटा
  कंठ में चुभे जैसे
  सेही का कांटा
 
पोर पोर में सरसों फूली
आँखें रसमसाती
मधु अतीत की सुगंध पीकर
पांखें कसमसाती

Tuesday 27 August 2013

मन का चन्दन




मन का चन्दन महक उठता है
तन कस्तूरी लगता है
दिल से दिल मिले यदि तो
सारा जग अपना लगता है

तुम्हें देख कानन तरूवर
विहँसने का उपक्रम करते
क्यों शाख पे लिपटी लताएं
क्यों पवन मंद मंद बहते

मरूस्थल में भी फूल खिलाना
तुमको ही क्यों आते हैं
झरने कैसे इठलाते हैं
पंछी क्यों सुर में गाते हैं

दसों दिशाओं से सुरभित
मानव मन की कस्तूरी
मन से मन यदि मिला रहे
तो कहाँ किसी से यह दूरी

जीवन का व्यापार यही है
जग की सारी प्रणय कहानी
तुममें ही सब छिपा हुआ है
सकल जगत ने यह जानी


Sunday 25 August 2013

तलाश है


















अपनों के बीच अपनापन तलाशता हूँ

मकानों के बीच घर तलाशता हूँ

इतना खो गया हूँ दुनियाँ की भीड़ में

खुद में ही खुद को तलाशता हूँ||

 

आजकल आदमी का हुलिया बदल गया है

अब आदमी के बीच आदमी को तलाशता हूँ

बहुत देखा है संबंधों की गहराई

अब सम्बन्ध में सम्बन्ध तलाशता हूँ ||

 

इंसानियत तो अब दिखाई देता नहीं कहीं

इंसानों के बीच इंसानियत तलाशता हूँ

जाने कहाँ से आ गया है आबादियों का रेला

आबादियों में तन्हाईयाँ तलाशता हूँ ||

 

वफ़ा का दुनियाँ में तकाजा न रहा

बेवफाई में वफ़ा तलाशता हूँ

अंधेरों में जीना सीख लिया है 'राजीव'

रौशनी में रौशनी को तलाशता हूँ||

 

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