Sunday 30 March 2014

हंसती है चांदनी

हवाओं की
करधनी पहन
हंसती है चांदनी

दूर देश
यादों के
बसती है चांदनी

बाजूबंद
   बिजली हैं    
   चाँद,चंद्रहार हैं   

आँखों में 
अश्कों के 
भरे ज्वार हैं 

रात गए
चंदा संग
चमकती है चांदनी 
  

Tuesday 4 March 2014

स्वप्न सुनहरे


स्वप्न सुनहरे 
चमक उठे हैं
नयनों की 
इस झील में
जैसे झिलमिल करते
तारे अंबर नील में

चिकने कोमल
फूल सरीखी
दमके कंचन काया
रूप अनल में
बड़ा मनोरम
अलकों वाला साया

नव कोंपल
अब वन में फूटी
फैली गंध सुगंध
कर बैठा है
प्रणय आजकल
मौसम से अनुबंध 
    
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